तुंगा का युद्ध(1787 ई.)
28 जुलाई 1787 को दोसा के पास तुंगा नामक स्थान पर मराठा सेनानायक महादजी सिंधिया और जयपुर के शासक सवाई प्रताप सिंह के बीच तुंगा का युद्ध हुआ ।
जयपुर के साथ मारवाड़ के शासक विजय सिंह एवं मुगल सेना की एक टुकड़ी भी थी। युद्ध का प्रमुख कारण मराठा सेनानायक की धनपिपासा थी। धन की बकाया वसूली को लेकर जयपुर व मराठों में विवाद हुआ ।1786 ईस्वी में जयपुर ने मराठों को ₹63 देने का वादा किया था मगर वह देना नहीं चाहता था अतः तूंगा नामक स्थान पर मराठो एवं जयपुर के मध्य युद्ध हुआ। जिसमें मराठों को पीछे हटना पड़ा महादजी सिंधिया के लिए यह एक बड़ी असफलता थी क्योंकि न तो वह राजपूतों से धनराशि वसूल सका और न ही वह उन्हें कुचल सका युद्ध के परिणाम स्वरूप प्रताप सिंह(ब्रजनिधि) की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई उसकी यह एक बड़ी सफलता थी कि वह सिंधिया की सेना को रोक सका । अजमेर पर जोधपुर के शासक विजय सिंह ने अधिकार कर लिया।
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